धरती को आपकी जरूरत है, इसे बचाएँ

आज देश और दुनिया की पहली चिंता है- बिगड़ता पर्यावरण। हाल में संयुक्त राष्ट्र की पर्यावरण समिति ने इस बात की आशंका जताई है कि अगर आज की गति से ही जंगल कटते रहे, बर्फ पिघलती रही तो शायद पचास सालों में दुनिया के कई निचले इलाके डूब जाएंगे। यही हालत रही तो सौ सालों में मालदीव, मॉरीशस सहित भारत के मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे शहर भी पानी में डूबकर विलुप्त हो सकते हैं। इस मामले में सरकारें अपने-अपने स्तर पर प्रयास कर रही हैं, लेकिन अब भी आम आदमी में जागरूकता नहीं आई है। लोग पर्यावरण बचाने में अपनी भूमिका को नहीं पहचानते। वे सोचते हैं- मैं कर ही क्या सकता हूं? पर अगर कोई वास्तव में कुछ करना चाहे तो किसी का मुंह देखने की जरूरत नहीं है।

बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

पॉलिथीन जीवों भूमि व जल के लिए घातक

पॉलिथीन मनुष्य समेत सभी जीवों, भूमि व जल के घातक है. इसे जलाने से निकलनेवाली डी-ऑक्सीन गैस से मनुष्य को कैेंसर भी हो सकता है. सस्ते पॉलिथीन का इस्तेमाल स्वास्थ्य के लिए और हानिकारक है. इसमें कई प्रकार के केमिकल्स मिले रहते हैं. पॉलि बैग के खाने से प्रतिदिन जानवरों की मौत हो रही है. प्रत्येक वर्ष विश्व में 500 बिलियन पॉलिथीन बैग का इस्तेमाल किया जाता है. प्रति मिनट करीब एक लाख पॉलि बैग का इस्तेमाल होता है, जो पर्यावरण के लिए काफी नुकसानदेह है. भारत में इसकी सबसे ज्यादा खपत है. आमतौर पर पॉलीइथलीन से बैग बनाया जाता है, जिसका घनत्व काफी कम होता है. इसकी रिसाइक्िलंग काफी महंगी है. इसके लिए फिलहाल कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है. प्लास्टिक बैग नन-बायोडिग्रेडबल है, जो एक हजार वर्ष में नष्ट होता है.एक प्रतिशत प्लास्टिक बैग की रिसाइक्िलंग यूनाइटेड स्टेट की पर्यावरण संरक्षण एजेंसी की ओर से वर्ष 2000 में कराये गये सर्वेक्षण से पता चलता है कि विश्व में सिर्फ एक प्रतिशत पॉलि बैग की रिसाइक्िलंग होती है. वर्ष 2007 में 800 मिलियन एलबीएस बैग की रिसाइक्िलंग हुई. एक टन की रिसाइक्िलंग से 11 बैरल तेल के बराबर ऊर्जा बचायी जा सकती है. रिसाइक्िलंग के बाद पॉलिथीन का उपयोग सड़क निर्माण के लिए किया जा सकता है.

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